जीएसटी: बिजली होगी सस्ती, मुनाफाखोरों पर रहेगी नजर

7 वर्ष पहले
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भोपाल/नई दिल्ली.   जीएसटी लागू होने के बाद बिजली की दरें सस्ती हो सकती हैं। इसमें प्राेविजन है कि कोयले पर लगने वाला टैक्स 11.7% से घटकर 5% हो जाएगा। साफ है कि थर्मल एनर्जी का खर्च कम होगा तो बिजली की दरों पर भी उसका असर होगा। आगे जाकर बिजली सस्ती होगी। जीएसटी लागू होने से आम आदमी और कारोबारियों पर क्या फर्क पड़ेगा? इसे लेकर अभी भी सोचा जा रहा है। हालांकि, मुनाफाखोरों पर निगरानी के लिए एक अथॉरिटी बनाने का प्रोविजन किया गया है। मुनाफाखोरी पर लगेगी लगाम...
 
 
- जीएसटी में सबसे खास बात यह है कि कोई भी कारोबारी अब कम किए गए टैक्स का फायदा खुद नहीं रख पाएगा। साफ है कि जिन गुड्स और सर्विसेस पर टैक्स घटाया जाएगा, उसका फायदा उस कारोबारी को जनता को पहुंचाना ही होगा। जाहिर है, इससे मुनाफाखोरी पर लगाम लगेगी, क्योंकि टैक्स घटने के बाद उसी रेशियो में कीमतें भी कम करनी होंगी। 
- जीएसटी एक्ट की धारा 171 में मुनाफाखोरी रोकने करने का प्रावधान भी किया गया है। इसके तहत अगर कोई कारोबारी जीएसटी में कटौती का फायदा कंज्यूमर तक नहीं पहुंचाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
- एक अथॉरिटी भी बनाई जाएगी, जो यह देखेगी कि टैक्स में कमी के मुताबिक कीमतें कम हुईं या नहीं। ई-कॉमर्स कंपनियां भी जीएसटी के दायरे में आएंगी।
- डिपार्टमेंट के ऑफिशियल्स के मुताबिक, सीजीएसटी की धारा 69 के तहत जीएसटी की चोरी करने वाले कारोबारी की गिरफ्तारी हो सकती है। धारा 79 के तहत बकाया टैक्स न चुकाने वालों का सामान और नॉन मूवेबल प्रॉपर्टी बेचकर गवर्नमेंट टैक्स वसूल सकती है।

स्टेट गवर्नमेंट को मिलेगी सर्विस टैक्स में हिस्सेदारी 
- जीएसटी आने के बाद स्टेट गवर्नमेंट को सर्विस टैक्स में भी कुछ हिस्सेदारी मिलेगी। इससे एंट्री टैक्स, वैट और सीएसटी खत्म होने से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकेगी। बीमा, बैंकिंग, मोबाइल रिचार्ज, इंटरनेट सर्विसेस में लगने वाले सर्विस टैक्स से यह हिस्सेदारी मिलेगी। एक अनुमान के मुताबिक मध्य प्रदेश में अलग-अलग सर्विसेस पर करीब 5000 करोड़ रुपए टैक्स वसूला जाता है। इसका आधा यानी 2500 करोड़ रुपए स्टेट को मिल सकता है।
 
मकान बनाना कुछ हद तक हो जाएगा सस्ता
- जीएसटी में मकान बनाना कुछ हद तक सस्ता हो जाएगा, क्योंकि इसे बनाने में काम आने वाली कई चीजों के दाम 1 जुलाई से कम हो जाएंगे। इसमें सीमेंट, इमारती लकड़ी, पेंट, वार्निश, पीवीसी पाइप एंड फिटिंग्स, मार्बल, ग्रेनाइट, ग्लास शीट एंड ग्लास और कई आर्टिकल्स शामिल हैं। इन पर जीएसटी फिलहाल में लगने वाले वैट से कम होगा। सीमेंट में इनपुट रिबेट मिलेगा। हालांकि, वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट पर लगने वाला करंट रेट 4.5 से बढ़कर 12% होने से इसका फायदा कम हो जाएगा।
 
अथॉरिटी बनने तक कीमतें बढ़ सकती हैं
- चार्टर्ड अकाउंटेंट संदीप मुखर्जी के मुताबिक, इन प्राेविजन्स को अप्लाई करने के लिए एक अथॉरिटी बनानी होगी। जीएसटी कानून की धारा-171 यह कहती है कि अगर कोई मैन्युफैक्चरर इनपुट क्रेडिट लेता है तो अपना मुनाफा उसे कंज्यूमर्स के बीच बांटना होगा और यह देखने के लिए एक ऑर्गनाइजेशन बनाई जाएगा जो यह तय करेगा, लेकिन जब तक यह अथॉरिटी नहीं बनेगी, तब तक कीमतें बढ़ सकती हैं। 
 
क्या है GST, कब से लागू होगा?
- GST का मतलब गुड्स एंड सर्विसेस टैक्‍स है। आसान शब्‍दों में कहें तो जीएसटी पूरे देश के लिए इनडायरेक्‍ट टैक्‍स है, जो भारत को एक जैसा बाजार बनाएगा। 
- संसद इसका बिल पास कर चुकी है। 10 राज्य स्टेट जीएसटी पास कर चुके हैं। 1 जुलाई से GST देशभर में लागू होना है।
 
इसे लाने का क्या है मकसद?
- 17 साल की कवायद के बाद GST इसलिए लाया गया कि अभी एक ही चीज के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है। जीएसटी लागू होने पर सभी राज्यों में लगभग सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे। GST को केंद्र और राज्‍यों के 17 से ज्‍यादा इनडायरेक्‍ट टैक्‍स के बदले में लागू किया जा रहा है। 
- इससे एक्‍साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), स्टेट के सेल्स टैक्स यानी वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैम्प ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या सेल्स और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे।
 
जीएसटीएन सीईओ का दावा- हैक नहीं हो सकता नेटवर्क 
- जीएसटी नेटवर्क के सीईओ प्रकाश कुमार का दावा है कि यह नेटवर्क साइबर हमलों से पूरी तरह सुरक्षित है। इसे हैक नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटीएन 1 जुलाई से नया सिस्टम शुरू करने के लिए तैयार है। जीएसटी नेटवर्क नए टैक्स सिस्टम की रीढ़ की तरह है। लाखों कारोबारी अपनी खरीद-बिक्री का डाटा इसी पर अपलोड करेंगे। रिटर्न, क्रेडिट और रिफंड के लिए भी उन्हें यहीं एप्लिकेशन देना होगा। 
 
ऐसे सुरक्षित रहेगा जीएसटीएन 
- इसे लाइनक्स सॉफ्टवेयर पर तैयार किया गया है। इसमें कोडिंग के स्तर पर ही सिक्युरिटी फीचर्स दिए गए हैं। 
- इसमें डाटा पूरी तरह एनक्रिप्टेड रहेगा। साइबर हमलों से बचाने के लिए फायरवाल्स हैं। 
- इसमें लोगों की पहुंच रोल-बेस्ड होगी। जिसका जितना रोल होगा, वह वहीं तक पहुंच सकेगा, उससे आगे नहीं। 
- डाटा सेंटर में भी सिक्युरिटी के कई लेयर होंगे। कारोबारियों द्वारा अपलोड की गई जानकारियां डाटा सेंटर में जमा होंगी। 
 
 
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